पोल्ट्री फार्मिंग
खेती के साथ-साथ देश में पशुपालन और मुर्गीपालन (Poultry Farming) को भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस काम को कम जगह व खर्च पर करके तुरंत लाभ प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे किसान जिनके पास कम जमीन है या फिर वैसे लोग जो भूमिहीन हैं, वो इस काम को करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
भारत में 38 फीसदी मुर्गियां देशी हैं और इनकी उत्पादन क्षमता बहुत कम है जो सालाना 50-60 अंडे देती हैं. ये कुल अंडा उत्पादन का सिर्फ 21 फीसदी है. जबकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन के अनुसार एक व्यक्ति को एक साल में 180 अंडे व 11 किलो मांस की जरूरत होती है, लेकिन अभी सिर्फ 58 अंडे और 2.8 किलो मांस ही उपलब्ध हो पा रहा है. ऐसे में इस क्षेत्र में काफी ज्यादा संभावनाएं हैं.
इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी ने मुर्गियों की बहुरंगी संकर नस्ल विकसित की है और इसका नाम 'प्रतापधन' रखा है.