समेकित कृषि से संवर गयी ज़िन्दगी
बिहार के बांका जिले के किसान रिपु सुदन सिंह के पास करीब चार हेक्टेयर जमीन है जिसमे ये पहले धान-गेहूं जैसे पारंपरिक खेती किया करते थे..... लेकिन मिटटी का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण धान की उपज उम्मीद से बहुत कम होती थी नतीजा हमेशा नुकसान उठाना पड़ता.. चिंतित होकर इन्होने पास के कृषि विज्ञानं केंद्र का रुख किया और वहां ये अपनी दशा को बयान किया.... कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इनकी खेती देखने गए और इन्हें समेकित कृषि प्रणाली अपनाने की दी .. समेकित कृषि प्रणाली के अंतर्गत इन्होने शुरुआत में दो तालाब खुदवाए और उसमे मछली पालन करना शुरू किया..... कुछ दिनों तक तो इन्हें इस प्रणाली से फायदा नहीं दिख रहा था सिर्फ खर्च ही हो रहे थे..... लेकिन रिपु सुदन सिंह ने धैर्य नहीं खोया और समेकित कृषि प्रणाली को स्थापित करने में खर्च करते रहे.... थोड़े ही दिनों बाद जब तालाब की मछलियाँ बिकी तो इन्हें इन दोनों तालाबों से करीब 2 लाख का मुनाफा हुआ.... इससे इनका मनोबल बढ़ा और जी जान समेकित कृषि को संवारने में लग गए.